By नवभारत | Updated Date: Nov 22 2019 9:27AM |
32

पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, यदि सीखने की चाह हो तो ज्ञान किसी भी उम्र में हासिल किया जा सकता है. केरल की भागीरथी अम्मा ने 105 वर्ष की आयु में चौथी का इम्तहान दिया. इतनी ज्यादा उम्र में परीक्षा देने वाली वे दुनिया की सबसे बुजुर्ग छात्रा बन चुकी हैं. इसके लिए उनकी कभी न हारनेवाली हिम्मत, पढ़ने की जबरदस्त ललक के अलावा केरल राज्य साक्षरता मिशन के प्रयास जिम्मेदार हैं.’’ हमने कहा, ‘‘पहले बुजुर्गों से पढ़ने की बात की जाए तो वे कहते थे- बूढ़े तोते क्या राम-राम पढ़ेंगे, पढ़ाई बचपन में होती है, उम्र के अंतिम पड़ाव में नहीं! इसके विपरीत भागीरथी अम्मा ने साबित कर दिया है कि जहां चाह, वहां राह! अपनी मां के निधन के बाद छोटे भाई-बहनों को संभालने के लिए उन्हें पढ़ाई अधूरी छोड़ देनी पड़ी थी. उनके पति का 70 वर्ष पहले निधन हो चुका है. इसके बाद उनपर अपनी 4 बेटियों और 2 बेटों का पालन-पोषण करने की जिम्मेदारी आ गई. ऐसी हालत में वे अपनी पढ़ाई जारी रखने की इच्छा मन में दबाए रहीं. उनके पास इसके लिए फुरसत ही नहीं थी. जब भागीरथी अम्मा 105 साल की हो गईं तब भी उनमें पढ़ने की अभिलाषा बनी हुई थी. केरल भारत का शत-प्रतिशत साक्षरता वाला राज्य है. वहां के साक्षरता मिशन ने अम्मा को अवसर दिया कि वे चाहें तो चौथी की परीक्षा देकर अपना अरमान पूरा कर सकती हैं. खास बात यह कि उनके देखने-सुनने की शक्ति और याददाश्त भी इस उम्र में बहुत अच्छी है.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कितने ही लोग बूढ़े होने पर मायूस व निरुत्साही हो जाते हैं और उनपर नकारात्मक सोच हावी हो जाती है. इसके विपरीत केरल की भागीरथी अम्मा ने निराशा, थकावट या शिथिलता को अपने पर हावी होने नहीं दिया. उन्होंने चौथी की परीक्षा देने का अरमान पूरा कर दिखाया. उनके इस जबरदस्त हौसले ने सभी को चकित कर दिया. वे अपने आप में एक मिसाल बन गई हैं.’’