By नवभारत | Updated Date: Jul 4 2019 1:07PM |
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भगवान जगन्नाथ जी की पूजा करते हुए कुछ चीजें उनकी पसंद की जान लेना जरूरी हैं। भगवान को आरती में विशेष फूल चढ़ाए जाते हैं, वहीं एक विशेष धूप भी उनको बहुत प्रिय है। भगवान की पूजा करते समय कुछ बातें आपको जान लेना जरूरी है। जैसे भगवान को कैसा भोग लगाया जाता है या आरती करते हुए किस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
साथ ही आरती करते हुए कितने दीप रखने चाहिए आदि। रथयात्रा में नारायण या शालीग्राम की पूजा और आरती का भी विधान है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की पूजा में भोग का महत्व भी बहुत है । तो आइए आज भगवान की पूजा के नियम और उनके प्रिय वस्तुओं के साथ भोग के बारे में भी जानें।
प्रभु जगन्नाथ को करना है खुश तो उनकी पूजा में करें इसे शामिल -
गेंदे की फूल से करें पुष्पांजलि: भगवान जगन्नाथ विष्णु के अवतार माने गए हैं इसलिए उनकी पूजा में भी पीले पुष्प ही शामिल करें। गेंदे के फूल भ्गवान को बेहद प्रिय हैं। गेंदे की माला से उनका श्रृंगार कर उनपर उसी फूल से पुष्पांजिल करें।
पांचदीप से करें आरती: भगवान जगन्नाथ जी की आरती कभी एक दीप से नहीं की जाती। उनकी आरती में पांच दीप यानी पंचप्रदीप शामिल होने चाहिए। दीप जला कर "एतस्मै नीराजन दीपमालाएं नमः" कह कर आचमनी जल छिड़के और पुष्प लेकर "एष नीराजन दीपमालाएं ॐ नमः नारायणाय नमः" मंत्र उच्चारण करें।
कपूर की धूप है प्रभु को बेहद प्रिय: भगवान को धूप दीप जब भी दें उसमें कपूर का प्रयोग जरूर करें क्योंकि प्रभु को कपूर के धूप की सुगंध बेहद प्रिय होती है। सूर्यास्त से पहले एक बार आरती जरूर करें और फिर शाम को संध्या आरती करें।दोनों ही आरती में कपूर के धूप जरूर जलाएं।
भोग में प्रभु को चढ़ाएं ये पकवान: जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा में मिलने वाला महाप्रसाद दो तरह का होता है। एक सूखा प्रसाद और दूसरा गीला प्रसाद। सूखे प्रसाद में नारियल, लड्डू या सूखी मिठाई होती है जबकि गीले में मिक्स चावल, साग-भाजा और सब्जी होती है। साथ ही मालपुआ भी होता है। तो आप घर में भी प्रभु को यह पकवान भोग में खिला सकते हैं।