By नवभारत | Updated Date: Aug 14 2019 12:31AM |
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नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने उसके आदेश पर यहां तुगलकाबाद वन क्षेत्र में गुरु रविदास मंदिर गिराए जाने के मामले का राजनीतिकरण नहीं करने की मंगलवार को चेतावनी दी और धरना एवं प्रदर्शन के लिए लोगों को उकसाने वालों के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही शुरू किए जाने के लिए आगाह किया। गुरु रविदास जयंती समारोह समिति की ओर से पेश हुए वकील ने जब पंजाब में इस मामले पर विरोध प्रदर्शन का जिक्र किया, तो न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘‘यह मत सोचिए, कि हम असमर्थ हैं। हम मामले की गंभीरता को समझते हैं।'' न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी भी इस पीठ में शामिल थे।
पीठ ने कहा, ‘‘एक शब्द भी नहीं बोलिए और मामले को तूल नहीं दीजिए। आप अवमानना कर रहे हैं। हम आपके पूरे प्रबंधन की जांच -पड़ताल करेंगे। हम देखेंगे कि क्या किया जाना है।'' उसने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से इस मामले में सहायता करने का अनुरोध किया। पीठ ने शुरुआत में कहा कि एक बार आदेश पारित होने के बाद, इस प्रकार की कोई गतिविधि नहीं की जा सकती और ‘‘मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जा सकता। हम अवमानना की कार्यवाही शुरु करेंगे। यह ऐसा नहीं हो सकता।'' दिल्ली विकास प्राधिकरण की ओर से पेश वकील ने सूचित किया कि न्यायालय के आदेश पर ढांचे को गिराया गया।
पीठ ने कहा कि वह शीर्ष अदालत के आदेश की आलोचना सहन नहीं करेगी। उसने कहा, ‘‘आप ऐसा करना जारी नहीं रख सकते और आदेश पर टिप्पणी एवं उसकी आलोचना नहीं कर सकते। यह उच्चतम न्यायालय है। यहां राजनीति नहीं कीजिए।' न्यायालय में बैठे वेणुगोपाल से पीठ ने कहा, ‘‘वे धरना कर रहे हैं और जनता में आक्रोश है। यह गंभीर मामला है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जा सकता और हम इसे निपटाने के लिए आपको सुनना चाहते हैं।'' डीडीए ने सोमवार को जारी एक बयान में मंदिर शब्द का प्रयोग नहीं किया और कहा कि ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेश पर ढांचा गिराया गया।'' पंजाब में समुदाय के विरोध के बीच राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस मामले को सुलझाने के लिए रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कहा था।