By नवभारत | Updated Date: Nov 17 2019 11:31PM |
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अमरावती. पश्चिम विदर्भ के अनाज व फल तथा सब्जियों के लिए अमरावती कृषि उपज मंडी की पहचानी जाती है. अन्य राज्यों से भी यहां की सब्जी मंडी में बड़े पैमाने पर सब्जी व फलों का माल लाया जाता है जिसके कारण खरीददार और व्यापारियों की बड़ी संख्या जुड़ी है. लेकिन उत्पन्न से संपन्न कृषि उपज मंडी से सफाई ही नदारद है. जगह जगह सब्जियों की गंदी बदबू से खरीददार व व्यापारी भी परेशान है. बरसात के दिनों में मंडी के भीतर जाने की किसानों की शायद ही हिम्मत होती होगी लेकिन प्रशासन व सभापति इस पर भी गंभीर नहीं है जिससे मंडी का विकास राजनीतिक गंदगी में डूबता जा रहा है, ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है.
4 करोड़ की निविदा भी रद्द
लगभग 2 एकड़ में फल और छह एकड में सब्जी मार्केट तैयार किया है. आधी रात 3 बजे से ही दोनों मार्केट में भीड़ जमा होती है. वह दोपहर 1 बजे तक कायम रहती है. किंतु यहां आने वाले किसान और व्यापारियों के अलावा आम नागरिक यदि मार्केट में पहुंचे, तो वह कभी भी इस मार्केट में दुबारा कदम भी नहीं रखेगा ऐसी स्थिति है और वह केवल कृषि उपज मंडी में किये जा रहे सफाई की राजनीति के कारण है. अनाज और फल सब्जी मंडी में सफाई का ठेका कागजों पर सालाना 40 लाख रुपयों से दिया गया. बावजूद इसके दोनों मंडी में सफाई नहीं के बराबर है.
फल व सब्जी मार्केट में सड़के भी नहीं है तो मंडी में जमा होने वाले पानी के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग और शौचालय जैसी सुविधा कहां होगी ऐसा भी सवालिया निशान है. कई वर्षों बाद संचालक प्रमोद इंगोले के प्रयासों से 4 करोड़ रुपयों के माध्यम से सब्जी व फल मार्केट की सड़कों के लिए निविदा जारी की गई लेकिन बाजार समिति की राजनीति ने वह निविदा भी रद्द कर दी जिसके चलते फिर एक बार सड़कें बनेगी की नहीं यह भी प्रश्नचिन्ह है.
स्वच्छ भारत अभियान की बजी बैंड
शहर ही नहीं तो पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान मनाया जा रहा है. शहर भी स्वयंस्फूर्ति से स्वच्छता की और कदम रखने के लिए प्रयासरत है. महानगरपालिका की ओर से स्वच्छ भारत अभियान में प्लास्टिक पर बैन लगाया गया है. स्वयंसेवी संस्थाएं सब्जी विक्रेताओं को डस्टबीन भेंट दे रहे हैं लेकिन संचालक कुर्सी की राजनीति, प्रशासन अपने आप और व्यापारी व्यवसाय में व्यस्त रहने से स्वच्छता को कोई लेना देना नहीं हो. इसलिए किसी भी व्यापारी के पास डस्टबीन भी नहीं है. इसलिए खुले में ही कचरा डाला जाता है. चौकाने वाली बात यह है कि एपीएमसी की महिला संचालिका के रिश्तेदार को ही यह ठेका दिये जाने से संचालक भी सफाई को लेकर ठेकेदार पर दबाव नहीं बना सक रहे हैं. परिणामत: सब्जी व फल मार्केट में जगह जगह गदंगी ही गंदगी फैली हुई है. कहीं पर सड़े हुए फ्रुट तो कहीं पर सब्जियां दिखाई देते है.
पश्चिम महाराष्ट्र का आदर्श लें
पश्चित महाराष्ट्र की बाजार समितियों की स्थिति आज काफी सुधर चुकी है. वहां राजनीति विकास में नहीं होती इसलिए मंडी में विकास होता है. लेकिन विदर्भ में केवल राजनीति की आड में विकास गायब हो जाता है. जिसका उदाहरण अमरावती कृषि उपज मंडी है ऐसा कहना भी गलत नहीं होगा. इसलिए बाजार समितियों की व्यवस्था काफी दयनीय हो चुकी है.
फल मार्केट- आढतिया 80, खरीदीदार 24
सब्जी मार्केट -आढतिया 234, खरीदीदार 35
प्रतिदिन प्राप्त होनेवाली आय 25 लाख से अधिक
बैठक में होगा निर्णय
सब्जी मंडी में सडक बनाने के लिए सोमवार को होनेवाली बैठक में प्रस्ताव रखा है जिस पर निर्णय होगा. कई महीनों से यह प्रस्ताव दिया गया है. 5 करोड़ रुपयों से सब्जी मंडी अंतर्गत सड़कें बन जाती है तो व्यापारियों के लिए शौचालय भी बनाया जायेगा. व्यापारियों को भी स्वयंफूर्ति से स्वच्छता अभियान को लेकर मिटिंग बुलायी जायेगी. लेकिन पहले मंडी प्रशासन को व्यापारी व किसानों को सुविधा देना जरूरी है.
प्रमोद इंगोले, संचालक सब्जी मार्केट